आईवीएफ के जरिए मां-बाप बनना चाह रहे हों तो पहले ये 8 बातें जान लीजिए
आईवीएफ उन दंपतियों की मदद करता है जो परिवार बढ़ाना चाहते हैं, पर बांझपन की समस्या आड़े आती है।
आईवीएफ का विकल्प चुनने की वजह क्या है ?
किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले ठोस जांच के जरिए यह पता लगाना जरूरी है कि असल में समस्या क्या है। गर्भ नहीं ठहर पाने के पीछे कई कारण होते हैं, जैसे- हारमोन से जुड़ी समस्या, ट्यूब में संक्रमण, शारीरिक संबंध बनाने में असमर्थता आदि।
मेल फर्टिलिटी टेस्ट कराया ?
पुरुषों में संतानोत्पत्ति की क्षमता से जुड़ी जांच भी कराना जरूरी है। केवल एक टेस्ट से इस बारे में पता चल जाता है। इस टेस्ट में सीमेन एनालिसिस किया जाता है। जब इस जांच का नतीजा ठीक आए तब महिला को क्या समस्या है, उसकी जांच करने की जरूरत होती है।
आईयूआई का विकल्प कब अपनाएं?
आईयूआई या इंट्रायूट्रीन इनसेमिनेशन आईवीएफ की तुलना में अपेक्षाकृत आसान और कम जटिल प्रक्रिया है। अगर पति में संतानोत्पत्ति की क्षमता नहीं है, पोलीसिस्टिक ओवेरी सिन्ड्रोम (पीसीओएस) या वैजिनेसमस (वह स्थिति जिसमें औरत शारीरिक संबंध बनाने में सक्षम नहीं हो या बनाने में काफी तकलीफ होती हो) तब आईयूआई अच्छा विकल्प है। यह आईवीएफ की तुलना में काफी सस्ता भी होता है। आईयूआई तीन चक्र तक ट्राई किया जाता है और यह प्रशिक्षित डॉक्टर की निगरानी में ही किया जाता है।
कब आईवीएफ बेहतर विकल्प होगा?
आईयूआई को छोड़ कर आईवीएफ का विकल्प तब अपनाना सही है अगर औरत के ट्यूब में ब्लॉकेज है, ग्रेड ¾ एंडोमेट्रियोसिस या बांझपन का कोई अज्ञात कारण हो या कुछ मामलों में पीसीओएस की स्थिति में भी आईवीएफ का विकल्प अपनाया जाता है। पीसीओएस हार्मोन के असंतुलन और अंडा निषेचित नहीं होने की स्थिति है। इसे आईयूआई और आईवीएफ, दोनों से ही ठीक किया जा सकता है। उम्र, शादी की अवधि जैसे कारकों पर यह निर्भर करता है। कोई भी विकल्प अपनाने से पहले इन पहलुओं पर डॉक्टर के साथ विस्तार से बातचीत करना सही रहता है।
आईवीएफ कितने प्रकार का होता है ?
आईवीएफ की प्रक्रिया तीन तरह की होती है- नेचुरल आईवीएफ, मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ और कनवेंशनल आईवीएफ। नेचुरल आईवीएफ नेचुरल यानी कुदरती अंडे के जरिए किया जाता है, न कि स्टिमुलेशन के जरिए तैयार अंडाणु से। यह उन औरतों के लिए सही है जो बहुत ज्यादा इलाज या दवा और खर्च से बचना चाहती हैं। मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ में दवा खिला कर स्वस्थ अंडाणु तैयार कराए जाते हैं। कनवेंशनल या पारंपरिक आईवीएफ वह तकनीक है जिसमें खास माहौल में अंडाणु और वीर्य को मिलाया जाता है, जिससे प्रजनन की संभावना काफी बढ़ जाती है।
जिन स्त्रियों में अंडों की कमी होती है, उनके लिए क्या सही है?
यह एक आम गलती है कि जिन औरतों में अंडे की कमी होती है, उन्हें स्टिमुलेंट्स की ज्यादा खुराक दी जाती है। यह फायदे के बजाय नुकसानदेह हो जाता है। सही यह है कि कम मात्रा देकर तैयार अंडों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जाए। ऐसे मामलों में नेचुरल आईवीएफ या मिनिमल स्टिमुलेशन आईवीएफ अपनाना उचित है। हालांकि, इसमें एक बुरी बात यह है कि इस प्रक्रिया में केवल दो या तीन अंडे भी बन सकते हैं और अगर पहला प्रयास नाकाम हो गया तो पूरी प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है।
अंडा तैयार होने के बाद क्या होता है?
जब औरत का अंडाणु तैयार हो जाता है तो इसमें इंट्रासायटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन या आईसीएसआई के जरिए वीर्य भेजा जाता है। ये भ्रूण का रूप हैं और ये रूप देने के बाद इन्हें संपूर्ण निगरानी में विकसित कराया जाता है।
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